धर्म एवं दर्शन >> सहज गीता सहज गीताअरविंद कुमार
|
0 |
भाषा आसान, आधुनिक और गैर–पंडिताऊ है, जिसे आज का आम पाठक बड़ी सहजता से समझ सकता है
गीता के अनगिनत अनुवादों और भाष्यों के बावजूद आज ऐसे संस्करण उपलब्ध नहीं हैं जो आम आदमी को गीता पढ़ने में और उस के उपदेशों के बारे में निजी राय कायम करने में बहुत सहायता दे सकें – हालत यह है कि आम आदमी न तो गीता का मूल संस्कृत पाठ पढ़ पाता है, न अधिकतर अनुवादों की उलझी भाषा के कारण श्लोकों के अर्थ समझ पाता है– पाठकों की कठिनाइयाँ दूर करने के लिए यह सहज संस्करण एक साथ दो काम करता है- 1. इस में गीता के मूल संस्कृत पाठ को आम आदमी की सुविधा मात्र के लिए एक बिलकुल नई और सहज शैली में लिखा गया है– इस शैली के कारण संस्कृत के श्लोकों का पढ़ना काफी हद तक सहज हो गया है, कहीं भी गीता के प्रवाह में व्यवधान नहीं आया है और न कहीं किसी प्रकार संस्कृत व्याकरण की हानि हुई है। 2. इस में गीता के श्लोकों का हिंदी गद्य अनुवाद सीधे सादे और छोटे छोटे वाक्यों में किया गया है। भाषा आसान, आधुनिक और गैर–पंडिताऊ है, जिसे आज का आम पाठक बड़ी सहजता से समझ सकता है।
|